Tuesday, April 7, 2020
शब ए बरात की फज़ीलत और नफ्ल नमाजे़ं
शब ए बरात एक ऐसी पाकीज़ा रात है जिस मे अल्लाह की इबादत करने वाले पर अल्लाह पाक की बेशुमार रहमतें नाजि़ल होती है। इस रात गुनाहों की बख्शिस होती है, जहन्नम से निज़ात (छुटकारा) मिलता है और इसी रात बन्दों (लोगों) की पुरे साल रोज़ी लिख दी जाती है।
शब ए बरात में हमें ज्यादा से ज्यादा इबादत करके अल्लाह से हमारे गुनाहो की मुआफी मांगनी चाहिए। और अल्लाह पाक से रो-रोकर दुआ मांगनी चाहिए ! बेशक वही है रिज़्क़ देने वाला ! जिंदगी और मौत देने वाला ! और सभी की सुनने वाला है। और इस महामारी मे से निज़ात देने वाला वही है।
इस रात की नफ्ल नमाज़े और तस्बीहात के पढ़ने का तरीका
۞मगरिब की नमाज़ से पहले पढ़ें:
मगरिब की नमाज़ से पहले 40 मर्तबा
لَاحَوْلَ وَلَا قُوَّۃَ اِلَّا بِااللّٰہِ الْعَلِیِّ الْعَظِیْمِ
और सो मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़ने की बरकत से 40 वर्ष के गुनाह माफ होते हैं और जन्नत में खिदमत के लिए 40 हूर मामूर कर दी जाती हैं (मिफताहुल जिनान)
۞मगरिब के बाद 6 रक्आत मुहताजी, आफत, और बलियात से महफूज़ रहने के लिए पढ़े।
मगरिब की नमाज के बाद 6 रकात नवाफ़िल इस तरह पढ़ें कि 2 रकात नमाज नफ्ल बारा ए दराज़ी ए उम्र बिलखैर पढ़ें फिर सुरे यासीन या सुरह अहद 21 बार पढ़ कर दुबारा दो रकात नफिल बारा ए तरक्क़ी व कुशादगी ए रिजक पढ़े फिर सुरे यासीन या सुरह अहद 21 बार पढ़ कर और 2 रकात नफिल जमीन व आसमान के मुसीबतों से महफूज़ रहने के लिए पढ़ें फिर सुरे यासीन या सुरह अहद 21 बार पढ़ कर दुआ ए शाबान पढ़ें इंशाल्लाह 1 साल तक मुहताजी, आफत, और बलियात करीब नहीं आएंगी |
۞तमाम छोटे बड़े गुनाहों की माफी
8 रकात नफिल दो-दो करके पढ़ें, हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 25 मर्तबा सूरह इखलास पढ़ कर ख़ुलूस ए दिल से तौबा करें और इस दुआ को
اَللّٰہُمَّ اِنَّکَ عَفُوٌّ کَرِیْمٌ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّیْ یَا غَفُوْرُ یَا غَفُوْرُ یَا غَفُوْرُ یَا کَرِیْمُ
खड़े होकर, बैठ कर, और सजदे में 44 मर्तबा पढ़ें गुनाहों से ऐसे पाक हो जाएंगे जैसे कि आज ही पैदा हुए हों |
۞रिजक में बरकत और कारोबार की तरक्की के लिए:
2 रकात नमाज हर रकात में सूरह फातिहा के बाद आयतुल कुर्सी एक मर्तबा सूरह इखलास 15 मर्तबा पढ़ें | सलाम के बाद 100 मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़ें फिर 313 बार
یَاوَھَّابُ یَا بَاسِطُ یَارَزَّاقُ یَا مَنَّانُ یَا لَطِیْفُ یَا غَنِیُّ یَا مُغْنِیُّ یَا عَزِیْزُ یَا قَادِرُ یَا مُقْتَدِرُ
पढ़ने से कारोबार में बरकत और रिजक में बढ़ोतरी हो जाती है |
۞मौत की सख्ती से आसानी और अजाबे कब्र से हिफाजत
4 रकात पढ़ें हर रकात में सूरह फातिहा के बाद सूरह तकासुर एक मर्तबा और सूरह इखलास बार पढ़कर सलाम के बाद सूरह मुल्क 21 मर्तबा और सूरह तौबा की आखिरी दो आयत है 21 बार पढ़ने से इंशाल्लाह मौत की मौत की सख्तीयों और कब्र के आजाब से महफूज रहेंगेक |
۞2 रकात नफ्ल तहियातुल वजू पढ़ें
तरकीब: हर रकात में सूरह अलहम्द के बाद एक बार आयतल कुर्सी 3 बार सूरह इखलास पढ़ें | फजीलत: हर कतरा पानी के बदले 700 रकात नफिल का सवाब मिलेगा |
2 रकात नफ्ल
हर रकात में अल हम्द के बाद एक बार आयतल कुर्सी 15 बार कुल सूरह इखलास और सलाम के बाद एक सौ बार दुरूद शरीफ पढ़ें | फजीलत: रोजी में बरकत होगी रंज व गम से निजात, गुनाहों की बख्शीश व मगफिरत होगी |
۞8 रकात दो-दो करके
तरकीब: हर रकात में सूरह अलहमद के बाद 5 बार सूरह इखलास फजीलत: गुनाहों से पाक साफ होगा दुआएं कुबूल होगी सवाब ए अज़ीम होगा
۞12 रकात दो दो करके
तरकीब: हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 10 बार सूरह इखलास और 12 रकात पढ़ने के बाद 10 बार कलमा ए तौहीद 10 बार कलमा ए तमजीद 10 बार दुरुद शरीफ फ़ज़ीलत: तमाम नेक हाजतें पूरी होंगी
۞14 रकात दो-दो करके
तरकीब हर रकात में सूरह फातिहा के बाद जो सूरह चाहे पढ़ें फजीलत: जो भी दुआ मांगे कुबूल होगी
۞4 दो-दो करके
तरकीब: हर रकात में सुरह फातिहा के बाद 50 बार सूरह इखलास शरीफ फजीलत: गुनाहों से पाक हो जाएगा जैसे अभी मां के पेट से पैदा हुआ हो |
۞8 रकात दो दो करके
हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 11 बार सूरह इखलास इसका सवाल खातून ए जन्नत बीबी फातिमा जहरा रजी अल्लाहा को नज्र करें फ़ज़ीलत: आप फ़रमाती हैं कि इस नमाज पढ़ने वाले की शफ़ाअत किए बिना जन्नत में कदम ना रखूंगी|
सलातुत तस्बीह का आसान तरीका
तस्बीह “सुब्हानअल्ला हि वलहम्दु लिल्ला हि वला इला ह इल्लल्ला हु वल्लाहु अकबर”
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
सबसे पहले सलातुत तस्बीह की नियत करें (चार रकअत एक सलाम से)
तर्जुमा: नीयत की मैंने 4 रकअत सलातुत तस्बीह, वास्ते अल्लाह तआला के, मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु अकबर।
फिर सना (सुब्हानाक अल्लाहुम्मा…) के बाद 15 मरतबा तस्बीह पढ़ें। फिर
आउजु बिल्ला हि मि नश्शैता निर्र जीम बिस्मिल्लाहिर र्रहमानिर्र हीम
सुरह फ़ातिहा (अल्हम्दोलिल्ला हि रब्बिल आ लमीन….) सूरे मिलाइये (कुरआन की कम से कम तीन आयतें या जो चाहें) सूरे मिलाने के बाद 10 बार
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
फिर रुकूअ् में 10 मरतबा
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें । फिर (रुकूअ् से खड़े होकर)
क़याम (समिअल्ला हु लेमन ह मे दह रब्बना लक लहम्द के बाद) में 10 मरतबा
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें। फिर सज्दे में 10 मरतबा (सुब्हान रब्बिल आला के बाद) पढ़ें।
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
फिर (सज्दे के दरमियान) जल्सा में 10 मरतबा
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें। फिर दूसरे सज्दे में 10 मरतबा (सुब्हान रब्बिल आला के बाद)
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें। फिर अगली रकअत के लिए खड़े हो जाएं। इस तरह पहली रकअत में 75 मरतबा पढ़ें, दूसरी रकअ्त में 75 मरतबा पढ़ें। यानी खड़े होते ही पहले 15 बार फिर सूरे मिलाने के बाद 10 बार फिर रुकूअ् में 10 बार फिर क़याम में 10 बार फिर सजदे में 10 बार फिर जलसा में 10 बार फिर दूसरे सजदे में 10 बार। दूसरी रकात में कअ्दा में बैठकर अत्तहियात पढ़ें और फिर तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं। तीसरी रकअ्त में 75 मरतबा और चौथी रकअ्त में 75 मरतबा तस्बीह पढ़ें। चौथी रकात में कअदा में बैठकर अत्तहियात, दरूद इब्राहिम और दुआ पढ़कर नमाज़ मुकम्मल करें। इस तरह चार रकअत में कुल 300 मरतबा तस्बीह पढ़ी जाएगी।
शब ए बरात में हमें ज्यादा से ज्यादा इबादत करके अल्लाह से हमारे गुनाहो की मुआफी मांगनी चाहिए। और अल्लाह पाक से रो-रोकर दुआ मांगनी चाहिए ! बेशक वही है रिज़्क़ देने वाला ! जिंदगी और मौत देने वाला ! और सभी की सुनने वाला है। और इस महामारी मे से निज़ात देने वाला वही है।
इस रात की नफ्ल नमाज़े और तस्बीहात के पढ़ने का तरीका
۞मगरिब की नमाज़ से पहले पढ़ें:
मगरिब की नमाज़ से पहले 40 मर्तबा
لَاحَوْلَ وَلَا قُوَّۃَ اِلَّا بِااللّٰہِ الْعَلِیِّ الْعَظِیْمِ
और सो मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़ने की बरकत से 40 वर्ष के गुनाह माफ होते हैं और जन्नत में खिदमत के लिए 40 हूर मामूर कर दी जाती हैं (मिफताहुल जिनान)
۞मगरिब के बाद 6 रक्आत मुहताजी, आफत, और बलियात से महफूज़ रहने के लिए पढ़े।
मगरिब की नमाज के बाद 6 रकात नवाफ़िल इस तरह पढ़ें कि 2 रकात नमाज नफ्ल बारा ए दराज़ी ए उम्र बिलखैर पढ़ें फिर सुरे यासीन या सुरह अहद 21 बार पढ़ कर दुबारा दो रकात नफिल बारा ए तरक्क़ी व कुशादगी ए रिजक पढ़े फिर सुरे यासीन या सुरह अहद 21 बार पढ़ कर और 2 रकात नफिल जमीन व आसमान के मुसीबतों से महफूज़ रहने के लिए पढ़ें फिर सुरे यासीन या सुरह अहद 21 बार पढ़ कर दुआ ए शाबान पढ़ें इंशाल्लाह 1 साल तक मुहताजी, आफत, और बलियात करीब नहीं आएंगी |
۞तमाम छोटे बड़े गुनाहों की माफी
8 रकात नफिल दो-दो करके पढ़ें, हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 25 मर्तबा सूरह इखलास पढ़ कर ख़ुलूस ए दिल से तौबा करें और इस दुआ को
اَللّٰہُمَّ اِنَّکَ عَفُوٌّ کَرِیْمٌ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّیْ یَا غَفُوْرُ یَا غَفُوْرُ یَا غَفُوْرُ یَا کَرِیْمُ
खड़े होकर, बैठ कर, और सजदे में 44 मर्तबा पढ़ें गुनाहों से ऐसे पाक हो जाएंगे जैसे कि आज ही पैदा हुए हों |
۞रिजक में बरकत और कारोबार की तरक्की के लिए:
2 रकात नमाज हर रकात में सूरह फातिहा के बाद आयतुल कुर्सी एक मर्तबा सूरह इखलास 15 मर्तबा पढ़ें | सलाम के बाद 100 मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़ें फिर 313 बार
یَاوَھَّابُ یَا بَاسِطُ یَارَزَّاقُ یَا مَنَّانُ یَا لَطِیْفُ یَا غَنِیُّ یَا مُغْنِیُّ یَا عَزِیْزُ یَا قَادِرُ یَا مُقْتَدِرُ
पढ़ने से कारोबार में बरकत और रिजक में बढ़ोतरी हो जाती है |
۞मौत की सख्ती से आसानी और अजाबे कब्र से हिफाजत
4 रकात पढ़ें हर रकात में सूरह फातिहा के बाद सूरह तकासुर एक मर्तबा और सूरह इखलास बार पढ़कर सलाम के बाद सूरह मुल्क 21 मर्तबा और सूरह तौबा की आखिरी दो आयत है 21 बार पढ़ने से इंशाल्लाह मौत की मौत की सख्तीयों और कब्र के आजाब से महफूज रहेंगेक |
۞2 रकात नफ्ल तहियातुल वजू पढ़ें
तरकीब: हर रकात में सूरह अलहम्द के बाद एक बार आयतल कुर्सी 3 बार सूरह इखलास पढ़ें | फजीलत: हर कतरा पानी के बदले 700 रकात नफिल का सवाब मिलेगा |
2 रकात नफ्ल
हर रकात में अल हम्द के बाद एक बार आयतल कुर्सी 15 बार कुल सूरह इखलास और सलाम के बाद एक सौ बार दुरूद शरीफ पढ़ें | फजीलत: रोजी में बरकत होगी रंज व गम से निजात, गुनाहों की बख्शीश व मगफिरत होगी |
۞8 रकात दो-दो करके
तरकीब: हर रकात में सूरह अलहमद के बाद 5 बार सूरह इखलास फजीलत: गुनाहों से पाक साफ होगा दुआएं कुबूल होगी सवाब ए अज़ीम होगा
۞12 रकात दो दो करके
तरकीब: हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 10 बार सूरह इखलास और 12 रकात पढ़ने के बाद 10 बार कलमा ए तौहीद 10 बार कलमा ए तमजीद 10 बार दुरुद शरीफ फ़ज़ीलत: तमाम नेक हाजतें पूरी होंगी
۞14 रकात दो-दो करके
तरकीब हर रकात में सूरह फातिहा के बाद जो सूरह चाहे पढ़ें फजीलत: जो भी दुआ मांगे कुबूल होगी
۞4 दो-दो करके
तरकीब: हर रकात में सुरह फातिहा के बाद 50 बार सूरह इखलास शरीफ फजीलत: गुनाहों से पाक हो जाएगा जैसे अभी मां के पेट से पैदा हुआ हो |
۞8 रकात दो दो करके
हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 11 बार सूरह इखलास इसका सवाल खातून ए जन्नत बीबी फातिमा जहरा रजी अल्लाहा को नज्र करें फ़ज़ीलत: आप फ़रमाती हैं कि इस नमाज पढ़ने वाले की शफ़ाअत किए बिना जन्नत में कदम ना रखूंगी|
सलातुत तस्बीह का आसान तरीका
तस्बीह “सुब्हानअल्ला हि वलहम्दु लिल्ला हि वला इला ह इल्लल्ला हु वल्लाहु अकबर”
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
सबसे पहले सलातुत तस्बीह की नियत करें (चार रकअत एक सलाम से)
तर्जुमा: नीयत की मैंने 4 रकअत सलातुत तस्बीह, वास्ते अल्लाह तआला के, मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु अकबर।
फिर सना (सुब्हानाक अल्लाहुम्मा…) के बाद 15 मरतबा तस्बीह पढ़ें। फिर
आउजु बिल्ला हि मि नश्शैता निर्र जीम बिस्मिल्लाहिर र्रहमानिर्र हीम
सुरह फ़ातिहा (अल्हम्दोलिल्ला हि रब्बिल आ लमीन….) सूरे मिलाइये (कुरआन की कम से कम तीन आयतें या जो चाहें) सूरे मिलाने के बाद 10 बार
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
फिर रुकूअ् में 10 मरतबा
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें । फिर (रुकूअ् से खड़े होकर)
क़याम (समिअल्ला हु लेमन ह मे दह रब्बना लक लहम्द के बाद) में 10 मरतबा
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें। फिर सज्दे में 10 मरतबा (सुब्हान रब्बिल आला के बाद) पढ़ें।
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
फिर (सज्दे के दरमियान) जल्सा में 10 मरतबा
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें। फिर दूसरे सज्दे में 10 मरतबा (सुब्हान रब्बिल आला के बाद)
سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें। फिर अगली रकअत के लिए खड़े हो जाएं। इस तरह पहली रकअत में 75 मरतबा पढ़ें, दूसरी रकअ्त में 75 मरतबा पढ़ें। यानी खड़े होते ही पहले 15 बार फिर सूरे मिलाने के बाद 10 बार फिर रुकूअ् में 10 बार फिर क़याम में 10 बार फिर सजदे में 10 बार फिर जलसा में 10 बार फिर दूसरे सजदे में 10 बार। दूसरी रकात में कअ्दा में बैठकर अत्तहियात पढ़ें और फिर तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं। तीसरी रकअ्त में 75 मरतबा और चौथी रकअ्त में 75 मरतबा तस्बीह पढ़ें। चौथी रकात में कअदा में बैठकर अत्तहियात, दरूद इब्राहिम और दुआ पढ़कर नमाज़ मुकम्मल करें। इस तरह चार रकअत में कुल 300 मरतबा तस्बीह पढ़ी जाएगी।
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