Tuesday, May 12, 2020

रमज़ान साल भर में एक बार आता है

लेख:मो कमर अंजुम कादरी फैजी
यूं तो सारे महीने अल्लाह के  हैं। और वक्त का पहिया उसके ही इशारों से चलता है। मगर जो आदर सत्कार रमज़ान के महीने को हासिल है वह आदर सम्मान किसी दूसरे महीने को नहीं मिला है।
इस माह में मुसलमान अपने खुदा के लिए रोज़ा रखते हैं। ज्यादा से ज्यादा नमाज़े पढते हैं|और किताबों में रोज़े की बहुत ज्यादा फजीलत और उसके फायदे बताये गये है

 दूनिया मे कोई भी मुसलमान जब कोई नेक और अच्छा काम करते हैं तो उसका सवाब बहुत ज्यादा मिलता है मगर रोज़े का सवाब खुद अल्लाह देता है।
हजरत मुहम्मद साहब ने कहा है कि ऐ लोगो तुम्हारे बीच जो महीना आया है यह वह महीना है जिसमें जो कोई नफल ईबादत के जरिए अल्लाह से नजदीकी हासिल करना चाहता है तो वह ऐसा है जैसे रमज़ान के अलावा दूसरे महीने में सत्तर 70 फर्ज अदा किये जायें. इसका मतलब यह है कि रमज़ान में एक नेकी का सवाब सत्तर 70 मिलता है जबकि और दूसरे दिनों में ऐक नेकी का सवाब ऐक ही मिलता है।
रमज़ान के महीने में किसी गरीब और मजदूर लोगों को अफतारी करवाने पर बहुत ही ज्यादा नेकीयां मिलती हैं।
अल्लाह पाक ने इसी महीने में कूराने मजीद को आसमान से धरती पर उतारा| कूरान मुसलमानों की सबसे बड़ी किताब है। जो लोगों को फायदा देती है|

ओर कोई मूसलमान रोज़े के नाम पर दिन भर सिर्फ
खाना पीना छोड दे  लेकिन अपनी बूरी आदतें
न छोडे पाबंदी से नमाज न पढ़े उसका रोज़ा
रखना न रखने के बराबर है । येह लोग बेकार में
भूके - प्यासे रहते हैं । इनका रोज़ा खुदा के यहाँ
में नेकी और सवाब की किताब में जमा होने के लिए
बजाए रब् की नाफरमानी की महोर लगाकर
कचरे की पेटी में दाल दिया जायेगा।
अल्लाह का करोड़ करोड़ एह़सान हैं कि ये रमज़ानुल मुबारक हमने अपनी ज़िन्दगी में पाया! भले ही इस बार के रोज़े बहुत शदीद गर्मी में आए हैं मगर इस गर्मी से ड़रकर रोज़े मत छोड़ देना, क्या पता अगला रमज़ान नसीब होगा भी या नही?

और ये ख़याल मत करना कि 'इस साल गर्मी ज़्यादा हैं मगर अगली साल रोज़े ज़रूर रखेंगे' हां, अगर ज़िन्दगी बाक़ी रही तो ज़रूर रखेंगे लेकिन ज़िन्दगी का कोई भरोसा नही कि अगले माहे रमज़ान तक हम ज़िन्दा रहे!
इसलिए ये ख़याल करो कि इस बार गर्मी ज़्यादा है तो क्या हुआ मेरा रब  मुझे सवाब भी बहुत ज्यादा देगा।
अल्लाह के जो नेक बन्दे होते हैं वो ये जानते हैं कि क़यामत की गरमी के आगे दुनिया की गरमी कुछ भी नही और वो अपने रब  को राज़ी करने के लिए मुश्किल से मुश्किल नेकी भी कभी नही छोड़ते!
इस लिए हमें माहे रमज़ानुल मुबारक का आदर और सम्मान करते रहना चाहिए।
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